सोमवार, 1 जून 2009
सोमवार, 25 मई 2009
किसानों का अनोखा पुस्तकालय

इस लाइब्रेरी की खासियत है कि इसमें किताबों के अलावे कृषि उपकरण यथा-खुरपी, कुदाल, तेंगारी, हंसुआ, स्प्रे मशीन, पम्पिंग सेट आदि कृषि के लिए उपयोगी सामान उपलब्ध हैं । जो किसान इस लाइब्रेरी के सदस्य हैं, वे ज्ञानवर्धन के अलावे खेती के लिए उपयोगी उपकरण मुफ्त में या मामूली भाड़ा देकर ले जाते हैं । काम ख़त्म होते ही वे पुनः सामानों को पुस्तकालय में जमा कर देते हैं ताकि दूसरे किसान भी इसका लाभ उठा सके । सदस्यों से जो रुपये आते हैं उसे लाइब्रेरी के विकास में लगाया जाता है । लाइब्रेरी में प्रेमचंद के "गोदान" से लेकर रामब्रिक्ष बेनीपुरी की "अम्बपाली" और कृषि कार्य एवं लघु उद्योग से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध कराने वाली पुस्तकों के अलावे विभिन्न पत्र-पत्रिकाएं भी उपलब्ध हैं । यहाँ महीने में दो-चार बार किसानों की गोष्टियाँ भी आयोजित होती हैं ।
आभार इनको...
रविवार, 17 मई 2009
अप्पन समाचार का विस्तार
- पूजा प्रीतम, रिपोर्टर, अप्पन समाचार
बुधवार, 13 मई 2009
मुजफ्फरपुर की सड़क पर तड़पती रही पत्रकारिता
सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक चेतना के मामले में मुजफ्फरपुर बिहार का अग्रणी शहर माना जाता है । इसका गौरवशाली इतिहास रहा है आए, जयप्रकाश ने प्रयोग किया, विनोबा के भूदान आन्दोलन का गवाह रहा है यह शहर । शहीद जुब्बा सहनी, रामब्रिक्ष बेनीपुरी, शहीद खुदीराम बोस, महाकवि जानकी बल्लव शास्त्री, भगवान महावीर, लंगट सिंह, लक्ष्मी साहू जैसे न जाने कितने ही विभूतियों की कर्मस्थली, जन्मस्थली और शहादतस्थली रही है यहाँ की धरती । आज भी इस तपोभूमि पर महान समाजवादी चिन्तक सच्चिदानंद सिन्हा की तप और साधना चल रही है, अपने जीवन को आन्दोलन और पर्यावरण के लिए समर्पित करनेवाले अनिल प्रकाश की सक्रियता युवाओं को प्रेरित करती है, वही एक साधारण परिवार में जन्मी मधुमक्खी वाली अनीता ने सफलता की ऐसी कहानी लिख दी कि सात समुन्दर पार यहाँ की शहद की मिठास पहुँच गयी, तो इन पंक्तियों के लेखक की अनोखी परिकल्पना "अप्पन समाचार" को ग्रामीण लड़कियों ने कैमरा व त्रिपोद से साकार कर मुजफ्फरपुर का नाम देश के बाहर रौशन कर दिया । इतना ही नहीं, कईं नामी पत्रकार व संपादक दिया है इस शहर ने देश को । इस धरती के नाम जड़े तमाम उपलब्धियों को शब्दबद्ध किया जाए तो एक पुरी किताब बन जायेगी । संक्षेप में कहें तो मुजफ्फरपुर समृद्ध विरासत की धरती रही है ।
ऐसे में यदि कोई संपादक इस शहर में ऐसा आ जाए जो छुटभैये नेताओं की स्कोर्पियो पर घूमे, दी पार्क होटल का बिल चुकाने के बदले उसका फोटू छापे, अपने मातहत संवाददाताओं से किचेन के सामान का बिल चुकता करवाए और शहर के एक बड़े व्यवसायी, जो एक राष्ट्रीय पार्टी का नेता भी है, की चाकरी करे तो इस शहर के संस्क्रितिकर्मिओं, समाजसेविओं, बुद्धिजीविओं पर क्या बीतेगा ? गत दो-तीन साल से मुजफ्फरपुर और आस-पास के जिले की पत्रकारिता अपने हाल पर आंसू बहा रही है । दारू और लड़की की बात करने वाला वह संपादक पता नहीं कैसी परम्परा का संवाहक बनेगा । उक्त अखबार के मालिक को यदि अधिक-से-अधिक पैसे ही कमाना है तो किसी सुंदर यौनकर्मी को संपादक बना दे ताकि अधिकाधिक टारगेट पुरा करेगी ।
एक बार उक्त संपादक महोदय ने उक्त नेता सह वाहन व्यवसायी की कंपनी के प्रचार में अपनी पूरी सम्पादकीय टीम ही सड़क पर उतार दी । ख़ुद भी सड़क पर टोपी लगाकर खड़े हो गए । सच पूछिये, उस दिन जनतंत्र का प्रहरी (पत्रकारिता) मुजफ्फरपुर की तपती सड़क पर छटपटा रही थी । पता चला, उक्त संपादक ने यह कु(कर्म) सिर्फ़ इसलिय किया था की उस व्यवसायी से संपादक महोदय ने एक-दो लाख रुपये (उधार या उपहार) लिया हुआ था । आपको बताते चले की इस श्रीमान की कलम से यहाँ के पाठकों को आज तक कुछ भी नसीब नहीं हुआ है ।
गनीमत है की ऐसे घटाटोप में कुछ रोशनी शेष है । प्रभात ख़बर, जनसत्ता जैसे कुछ हिन्दी के अखबार न होते तो शायद गाँधी का अन्तिम आदमी की आवाज भी पूरी तरह दब गयी होती । लोकतंत्र जिन्दा है तो कुछ ऐसे ही अखबारों से, लघु पत्र-पत्रिकाओं से ।
खैर, ब्लॉग आन्दोलन विकल्प बनकर उभर रहा है । ऐसे मीडिया मालिकों, संपादकों, दलालों से सावधान !
रविवार, 10 मई 2009
पत्रकारिता, पैसा और जनता
शनिवार, 11 अप्रैल 2009
मीडिया की सुर्खियों में अप्पन समाचार
गुरुवार, 9 अप्रैल 2009
"वोट की चोट" दे रही है अप्पन समाचार की रिपोर्टर
आपको बता दे कि यह इलाका वैशाली लोकसभा का पश्चिमी क्षेत्र है । यहाँ से बाहुबली मुन्ना शुक्ला जनता दल यू से अपना भाग्य आजमा रहे हैं, वहीं भारत सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह राजद से चुनाव लड़ रहे हैं । मुन्ना शुक्ला पर कई आपराधिक मामले चल रहे हैं, लेकिन साफ- सुथरा सरकार देने का वादा कराने वाली नीतिश सरकार दागियों को चुनाव में उतरा है ।
इधर, सरैया में भी वोट की चोट कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम का सञ्चालन रिपोर्टर पूजा प्रीतम एवं पत्रकार टी एन सिंह ने मिलकर किया । कैमरा चला रही थी सरोज कुमारी । लोकसभा इलेक्शन पर वोटर्स एवं स्थानीय राजनितीक कार्यकर्ता व नेताओं के बीच परिचर्चा के जरिये जागरूकता पैदा कराने का काम किया अप्पन समाचार टीम ने । दागियों को वोट न देने की अपील की गयी । इस कार्यक्रम में स्थानीय राजद के पूर्व विधायक मिथिलेश प्रसाद यादव एवं जनता दल यू से जुड़े स्थानीय नेता राजकुमार साह भी मौजूद थे ।
मरवान में भी वोट की चोट के जरिये मतदाताओं को जागरूक कराने का काम किया गया । अप्पन समाचार की न्यूज़ एडिटर नीरू चौधरी एवं वीडियो एडिटर रिंकू कुमारी ने कार्यक्रम का सञ्चालन किया। यहाँ, पुरूष एवं महिला मतदाताओं ने इस संवाद में जमकर नेताओं के करतूतों के खिलाफ बोला । साथ में थे अप्पन समाचार से जुड़े राजेश कुमार ।
जनतंत्र मजबूत कराने के लिए---
देश के विकाश के लिए---
दागियों को भागने के लिए---
सच्चे को चुनने के लिए---
रविवार, 15 मार्च 2009
....ताकि अभियान थमे नहीं
अप्पन समाचार के शुरू हुए सवा साल हो गए । संसाधन की कमी के कारण पुरी टीम को संघर्ष करना पड़ रहा है । सिर्फ़ एक त्रिपोद एवं एक माईक के अलावा टीम के पास कुछ नहीं है । कैमरा मांग-चांग करके ही समाचार शूट किया जाता है ।
तमाम ब्लॉगर एवं पाठकों से अपील है कि हमें संसाधन से सहयोग करें, ताकि एक अनोखा अभियान दो कदम चल कर थमे नहीं ।
अप्पन समाचार को जरूरत है -
१ कैमरा, ३सी सी डी - ३
२ त्रयोपोद - ३
३ कंप्यूटर - १
४ सॉफ्टवेर, न्यूज़ मिक्सिंग के लिए
मंगलवार, 3 मार्च 2009
चूहा पकड़ने वाली हाथ अब थामेंगी कैमरा
अप्पन समाचार ने इस बिरादरी की लड़कियों को आगे लाने के लिए एक अभियान चलाया है, जिसके तहत मुशहर महिलायों को अप्पन समाचार से जोड़ा जा रहा है । कल तक चूहा पकड़ने वाली वही हाथ अब कैमरा थामकर लेंगी नेताओं एवं अफसरों के इंटरव्यू । Mushahari, Kanti और Madwan block में Appan समाचार की टीम mushahar mahilaon से lagatar मिल रही हैं ।