सपने का अधुरा रहना बहूत ही कष्टकर होता है । अप्पन समाचार की शुरुआत भी एक सपने के रूप में हुई थी । मैंने और गाँव की लड़कियों ने सपने देखा था कि अपनी समस्यायों को उठाने के लिए अपना चैनल होगा । बस क्या था शुरू हो गया अपना चैनल । अप्पन समाचार को पब्लिसिटी मिल गया लेकिन इस अनोखे प्रयोग को बहूत ही कम लोगों का सहयोग मिला । एक पत्रकार मित्र भारतीय बसंत कुमार और गुजरात में गणित से पीएचडी कर रहे आनंद गुनेश्वर ही अब तक अप्पन समाचार की टीम के सहयोग में आगे आए हैं। इन दोनों को पुरी अप्पन समाचार टीम की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं ।
अप्पन समाचार के शुरू हुए सवा साल हो गए । संसाधन की कमी के कारण पुरी टीम को संघर्ष करना पड़ रहा है । सिर्फ़ एक त्रिपोद एवं एक माईक के अलावा टीम के पास कुछ नहीं है । कैमरा मांग-चांग करके ही समाचार शूट किया जाता है ।
तमाम ब्लॉगर एवं पाठकों से अपील है कि हमें संसाधन से सहयोग करें, ताकि एक अनोखा अभियान दो कदम चल कर थमे नहीं ।
अप्पन समाचार को जरूरत है -
१ कैमरा, ३सी सी डी - ३
२ त्रयोपोद - ३
३ कंप्यूटर - १
४ सॉफ्टवेर, न्यूज़ मिक्सिंग के लिए
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