सपने का अधुरा रहना बहूत ही कष्टकर होता है । अप्पन समाचार की शुरुआत भी एक सपने के रूप में हुई थी । मैंने और गाँव की लड़कियों ने सपने देखा था कि अपनी समस्यायों को उठाने के लिए अपना चैनल होगा । बस क्या था शुरू हो गया अपना चैनल । अप्पन समाचार को पब्लिसिटी मिल गया लेकिन इस अनोखे प्रयोग को बहूत ही कम लोगों का सहयोग मिला । एक पत्रकार मित्र भारतीय बसंत कुमार और गुजरात में गणित से पीएचडी कर रहे आनंद गुनेश्वर ही अब तक अप्पन समाचार की टीम के सहयोग में आगे आए हैं। इन दोनों को पुरी अप्पन समाचार टीम की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं ।
अप्पन समाचार के शुरू हुए सवा साल हो गए । संसाधन की कमी के कारण पुरी टीम को संघर्ष करना पड़ रहा है । सिर्फ़ एक त्रिपोद एवं एक माईक के अलावा टीम के पास कुछ नहीं है । कैमरा मांग-चांग करके ही समाचार शूट किया जाता है ।
तमाम ब्लॉगर एवं पाठकों से अपील है कि हमें संसाधन से सहयोग करें, ताकि एक अनोखा अभियान दो कदम चल कर थमे नहीं ।
अप्पन समाचार को जरूरत है -
१ कैमरा, ३सी सी डी - ३
२ त्रयोपोद - ३
३ कंप्यूटर - १
४ सॉफ्टवेर, न्यूज़ मिक्सिंग के लिए
रविवार, 15 मार्च 2009
मंगलवार, 3 मार्च 2009
चूहा पकड़ने वाली हाथ अब थामेंगी कैमरा
बिहार में एक समुदाय है मुशहर । यह बिरादरी सदियों से चूहा पकड़ने एवं उसे खाने के लिए मशहूर रहा है। मुजफ्फरपुर जिले में भी हजारों परिवार हैं मुशहरों की । इस बिरादरी की आर्थिक, सामाजिक, राजनितिक और सांस्कृतिक स्थिति आज भी दयनीय है । सरकार की नजर इन पर नहीं ही है ।
अप्पन समाचार ने इस बिरादरी की लड़कियों को आगे लाने के लिए एक अभियान चलाया है, जिसके तहत मुशहर महिलायों को अप्पन समाचार से जोड़ा जा रहा है । कल तक चूहा पकड़ने वाली वही हाथ अब कैमरा थामकर लेंगी नेताओं एवं अफसरों के इंटरव्यू । Mushahari, Kanti और Madwan block में Appan समाचार की टीम mushahar mahilaon से lagatar मिल रही हैं ।
अप्पन समाचार ने इस बिरादरी की लड़कियों को आगे लाने के लिए एक अभियान चलाया है, जिसके तहत मुशहर महिलायों को अप्पन समाचार से जोड़ा जा रहा है । कल तक चूहा पकड़ने वाली वही हाथ अब कैमरा थामकर लेंगी नेताओं एवं अफसरों के इंटरव्यू । Mushahari, Kanti और Madwan block में Appan समाचार की टीम mushahar mahilaon से lagatar मिल रही हैं ।
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