मुजफ्फरपुर जिले के मुशहरी प्रखंड कार्यालय के समक्ष धरने पर बैठे भूमिहीन पर्चाधारी |
- पिंकी कुमारी
किसी भी आदमी के लिए रोटी-कपड़ा और मकान की जरू रत होती है. लेकिन वह मकान तभी बन पायेगा, जब उसके पास थोड़ी-सी भी जमीन हो. 70 वर्ष के राजेंद्र सहनी को 1974 में जमीन का वासगीत का पर्चा मिला, लेकिन आजतक जमीन नहीं मिली. वे करीब 40 साल से जमीन का मालिकाना हक हासिल करने के लिए दौड़-धूप कर रहे हैं. अंचल कार्यालय से लेकर कमिश्नर साहेब एवं सरकार तक जा चुके हैं. मगर वे जमीन के मालिक नहीं बन सके. यह पीड़ा सिर्फ राजेंद्र सहनी की ही नहीं है. मुजफ्फरपुर जिले के मुशहरी प्रखंड के कोठिया गांव के दर्जनों आदमी की भी है. यहां के करीब 208 लोग पर्चाधारी हैं. ये लोग सिलिंग, भूदान एवं वासगीत पर्चा लेकर घूम रहे हैं. जमीन का पट्टा पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कोठिया की चित्रलेखा देवी का कहना है कि हमलोगों को 1992 में पर्चा मिला, पर जमीन पर अब तक कब्जा नहीं हुआ. जमीन का रसीद भी कटवाते हैं. हमलोग इसके लिए भूख हड़ताल किये. कमिश्नर से मिले, मुख्यमंत्री से मिले, लेकिन कुछ नहीं हुआ. उनलोगों ने सिर्फ आश्वासन दिया. मीनू देवी, निर्मला देवी का कहना है कि हमलोगों के पास जमीन नहीं हैं. इसलिए सड़क किनारे झोंपड़ी बनाकर रहते हैं. इसी गांव के बैजू ठाकुर का कहना है कि 1997-98 से जमीन का रसीद कटवा रहे हैं, फिर भी जमीन कब्जे में नहीं आया. सभी जमीन बेची जा रही है. पर्चाधारियों को मिली जमीन में मॉल व नर्सरी खोले जा रहे हैं. भू-माफिया जमीन बेच रहे हैं. कोई अधिकारी हमलोगों की बात नहीं सुनता है. अब हमलोग एकजुट होकर अंचलाधिकारी, सीआई एवं डीएम का कलम छीनेंगे. जिस कलम से जनता का काम करना है, यदि उस कलम से हो नहीं रहा, तो उसके पास क्यों रहेगा?
भूमिहीनों व गरीबों को हक दिलाने के लिए जिले के हरेक ब्लॉक में लोग लगातार आंदोलन कर रहे हैं. मुहल्ला सभा बनाकर ये लोग एकजुट हुए हैं. आंदोलनकारियों का नेतृत्व करनेवाले आनंद पटेल कहते हैं कि भूमाफियाओं व अधिकारियों के गठजोड़ के कारण गरीबों को जमीन नहीं मिल रही है. हम इन्हें हक दिलाकर रहेंगे. अधिकारियों को घेरेंगे.
- पिंकी कुमारी, अप्पन समाचार की रिपोर्टर है.