सहरसा । कोशी के कहर से न जाने कितने लोग अपने से बिछुड़ गए। चारो ओर त्राहिमाम ही त्राहिमाम है । कोशी ने सहरसा, अररिया, सुपौल, मधेपुरा और पूर्णिया को बुरी तरह लील लिया है । करीब दस लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं । हजारों लोग बाढ़ में बह गए । सरकार को इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करना पड़ा । देश-दुनिया से मदद के हाथ उठाने लगे । प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने हवाई सर्वेक्षण किया । फ़िल्म इंडस्ट्री से भी लोग बाढ़ पीडितों की मदद के लिए आगे आए । स्वयंसेवी संस्थाएं भी राहत अभियान चलाना शुरू किया । नर्मदा बचाओ आन्दोलन की नेत्री मेधा पाटकर, अंतरराष्ट्रीय गांधीवादी एवं एकता परिषद् के पी व्ही राजगोपाल, जनसत्ता के पत्रकार प्रसून लतांत सहित देश के कई नामी हस्तियां पीडितों के दर्द महसूसने कोशी आ चुके हैं । सहरसा में इन लोगों का ठहराव सहरसा खादी ग्रामोद्योग संघ में हुआ । यहाँ देश के कई संगठनों का साझा प्रयास (राहत कार्यक्रम) "कोशी चुनौती" के नाम से चल रहा है, जिसका संयोजन बिहार खादी ग्रामोद्योग संघ के अध्यक्ष लोकेन्द्र भारतीय कर रहे हैं ।
अप्पन समाचार की टीम भी ९ सिप्ताम्बर २००८ से कोशी के कहर की कहानी को अपने कैमरे के जरिये उतारने में लगी हैं । न्यूज़ कवर करने के दौरान टीम की लड़कियां रिंकू कुमारी, अनीता कुमारी evam khushboo kumari ne jo kuch mahsus kiya use ham neeche bayan kar rahe hain .
सोमवार, 15 सितंबर 2008
मंगलवार, 2 सितंबर 2008
नमस्कार ! अप्पन समाचार
'नमस्कार ! अप्पन समाचार में आप सबका स्वागत है । मैं हूँ खुशबू और आप देख रहे हैं मिशन आई इंटरनेशनल सर्विस का ग्रामीण महिला चैनल अप्पन समाचार । सबसे पहले खास-खास ख़बरों की सुर्खियाँ ।' एंकर यानि समाचार वाचिका खुशबू कुमारी जब ये शब्द बोलती हैं तो लगता है कि एक प्रशिक्षित एंकर समाचार प्रस्तुत कर रही हैं । जबकि सचाई है कि अप्पन समाचार टीम की खुशबू, रिपोर्टर अनीता, कैमरापर्सन रूबी एवं सहायक रिपोर्टर रुमा देवी लडखडाती शुरुआत की थी । लेकिन आज अप्पन समाचार की पूरी दुनिया में धूम मच रही हैं ।
सोमवार, 1 सितंबर 2008
अप्पन समाचार की परिकल्पना
Appan Samachar is an all-women news channel known as a village community TV network. It is launched on 6th December 2007 at Ramleela Gachhi under Deoria police station of Muzaffarpur district in Bihar. The distance from district headquarter is about 55 km. In the race of TRP and advertisement, maximum news channels telecast horror & spice based news. The village and poor people & farmers are not in the objectives of these channels. In the present time, media means profession not a mission. The effect of corporate sector & market also reflect the media. The participation of women in media as a professionals is very low. The sound of women can't be raise in media without women journalists. Thus, from these thoughts, the concept of APPAN SAMACHAR came on floor as an alternative media. This concept is the brainchild of a social activist and a journalist Santosh Sarang.
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