- संतोष सारंग
- खून देकर बचाते हैं जिंदगी, 34 बार कर चुके हैं रक्तदान
फूलदेव पटेल |
डॉ वीरेंद्रनाथ मिश्र बिहार विवि में हिंदी के प्रोफेसर हैं. उनकी पत्नी लंबे समय से बीमार है. फूलदेव उन्हें अब तक दो बार खून दे चुके हैं. डॉ मिश्र बताते हैं कि यह उनके व्यक्तित्व का शौर्य, हृदय का सौंदर्य और आचरण का औदार्य है कि दोनों किडनी फेल होने के कारण डायलीसिस पर पड़ी जानलेवा बीमारी कैंसर से संघर्ष करती हुई मेरी पत्नी रंभा मिश्रा को फुलदेवजी ने रक्त रूप में जीवन की सांसें दान स्वरूप दी. उस फुलदेवजी ने मंगल का व्रत रखा था. उपवास पर थे. यह व्यक्तित्व हमारे समाज के लिए प्रेरणादायी है. रक्तदान जैसे महायज्ञ को सफलीभूत करनेवाले नायक के रूप में मेरे लिए वे आदरणीय हैं.
फूलदेव कहते हैं कि जिंदगी बचाना ही मेरा मकसद है. सबसे पहले 12 दिसंबर, 1996 को सूरत में एक मजदूर को खून देकर जान बचायी थी. वह सड़क हादसे में गंभीर रूप से जख्मी हो गया था. डॉक्टर ने तत्काल खून की व्यवस्था करने को कहा, क्योंकि उसकी जिंदगी खतरे में थी. पहली बार मुझे ब्लड डोनेट करने में डर लग रहा था. लेकिन, मेरे सामने एक जिंदगी को बचाने का सवाल था. मुझे सुकून हुआ, जब वह बच गया. उसी घटना ने मेरी जिंदगी के मकसद को बदल दिया. जब भी कोई पुकार दे, मैं अपना काम छोड़ कर दौड़ा-दौड़ा खून देने चला जाता हूं.