बुधवार, 10 जून 2009

मैं भी सत्ता गढ़ लेता

"तुझ सा लहरों में बह लेता

तो मैं भी सत्ता गढ़ लेता,

इमान बेचता चलता तो

मैं भी महलों में रह लेता ।"

"हर दिल पर छूकर चली मगर

आंसू वाली नमकीन कलम,

मेरा धन है स्वाधीन कलम ।"

- गोपाल सिंह 'नेपाली'

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