मंगलवार, 25 जनवरी 2011

उड़ीसा की महिलायें बना रही वृतचित्र

उड़ीसा के कंधमाल स्थित 'जना विकास' संस्था से जुडी ११ आदिवासी महिलायें २१ जनवरी २०११ को मुजफ्फरपुर के पारू प्रखंड स्थित चान्द्केवारी गाँव पहुंची. उनके साथ मानस नायक और मध्य प्रदेश की संस्था संवाद वाहिनी से जुड़े अम्बुज सोनी भी आये. कुल १३ लोगों की टीम अप्पन समाचार के मॉडल को देखने, इस ग्रामीण सामुदायिक चैनल की गतिविधियों को निकट से देखने बिहार आई थीं. २१ जनवरी को मुजफ्फरपुर स्थित कन्हौली खादी भंडार में प्रेस मीट के बाद शाम में पूरी टीम चान्द्केवारी के लिए रवाना हुई. गाँव में दो दिन बिताने के बाद २३ जनवरी को यह टीम उड़ीसा और मध्य प्रदेश के लिए वापस हो गई. इन दो दीनों में दो प्रदेशों की ग्रामीण और जंगलों में रहनेवाली निरक्षर आदिवासी महिलायों का साझा अनुभव बाँटना, मुझे ही नहीं बल्कि चान्द्केवारी के लोगों और अप्पन समाचार से जुडी लड़कियों के लिए भी सुखद और अकल्पनीय रहा. जना विकास से जुडी आदिवासी महिलायों का वृतचित्र सम्बन्धी तकनीकी ज्ञान चौकाने वाली थी. अप्पन समाचार की लड़कियों को उनसे बहुत कुछ सिखाने को मिला. शायद मेहमानों को भी बिहार यात्रा का अनुभव अच्छा ही रहा होगा. दोनों प्रदेशों की अलग-अलग संस्कृतियों और भाषाओँ को एक साथ मिलाने का श्रेय अम्बुज सोनी जी को जाता है. हिंदी और उड़िया भाषा का संगम बिहार के सुदूर इलाके में देखने को मिला. भाषा कोई रुकावट नहीं डाल सकी, भावनायों और संवेदनायों के आगे. सहज भाव से अप्पन समाचार की १२-१५ लड़कियाँ और उड़ीसा की ११ महिलायें एक-दूसरे से ऐसे घुलमिल रही थी, जैसे पहले से एक-दूसरे को जानते हों. नमिता मांझी, कुंतोला नायक, उर्वशी नायक, कुंतोला दिगाल, लिसिमा दिगाल, ममता प्रधान, रुपिना मलिक, निर्मला नायक, संतोरा मलिक,  पुष्पलता, जच्छ्ना परीछा ने तो गाँव के लोगों का दिल जीत लिया.  खाना खाने के बाद में रात को पुआल का अलाव जला कर तापना और हँसी-ठिठोली करना क्या भूल सकता हूँ. बता दें कि बिहार आईं उड़ीसा की महिलायें उन घटनायों की गवाह हैं, जो कंधमाल दंगा के नाम से कुख्यात हुआ था. इनमे से कुछ के घर उजरे तो कुछ के घर जले और कुछ के रिश्तेदार मरे गए. सरकार के दमन और धर्म के ठेकेदारों की प्रताड़ना से उबकर इन महिलायों ने कैमरा थाम लिया. और आज दूसरे प्रदेश में गाँव की महिलायों के काम को देखने पहुँच गई. अंतिम समय में फादर अजय का कार्यक्रम रद्द हो गया, उनके नहीं आने और मुलाकात नहीं होने का मलाल रह गया. इस टीम की सेवा में अप्पन समाचार की टीम लगी रही. मिशन आई के फूलदेव पटेल, अमृतांज इन्दीवर, पंकज सिंह, विजय पाठक आदि लगे रहे. गाँव के लोगों ने चावल, सब्जी, पैसे आदि से सहयोग का ही नतीजा है कि हम अपने मेहमानों का आवभगत कर सके. सभी को तहे दिल से धन्यवाद.    
 
अप्पन समाचार पर वृतचित्र शूट करतीं उड़ीसा की आदिवासी महिलाएं. 

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